Unknown 10:59

जब हिन्दू माँ ने 11 मुस्लिमो से कहा “एक एक करके मेरी बेटी का बलात्कार करो, वरना वो मर जायेगी”.




 सिराजगंज बांग्लादेश, पूर्वी देलुआ गाँव की घटना है ये
एक माँ जिसकी 14 साल की बेटी पूर्णिमा का 11-11 दरिंदे जिनकी उम्र 24-55 साल तक की है बलात्कार कर रहे थे, बंधी हुई माँ ने उनसे कहा
“अब्दुल अली, कम से कम इतना तो रहम करो, 1-1 कर उसका बलात्कार करो वो 14 साल की है मर जायेगी”
वो माँ 2 घंटे तक चिल्लाती रही
“अब्दुल अली, अब्दुल अली, अली रहम करो 1-1 कर बलात्कार करो”
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बांग्लादेश के सिराजगंज में अनिल चंद्र, उनकी पत्नी और 14 साल की बेटी पूर्णिमा रहते थे अनिल चंद्र एक हिन्दू थे तथा इनके पास जमीन थी ये बात मुस्लिमो को पसंद ना आई की एक काफिर कैसे अमीर है, ये सभी मुस्लिम खालिद जिया जो बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री है उसके पार्टी के लोग थे
8 अक्टूबर के दिन,  अब्दुल अली, अल्ताफ हुसैन, हुसैन अली, अब्दुर रउफ, यासीन अली, लिटन शेख और 5 अन्य मुस्लिमो ने अनिल चंद्र के घर पर धावा बोल दिया, अनिल चंद्र औए उनकी पत्नी को डंडो से मारकर बाँध दिया, उसके बाद दरिंदो की नजर 14 साल की पूर्णिमा पर पड़ी, 11-11 दरिंदे एक साथ पूर्णिमा पर टूट पड़े, देखते ही देखते उसके सारे कपडे फाड़ दिए और उसके गुप्तांगो को चोट पहुचाने लगे
सभी दरिंदे हँसते हुए, अनिल चंद्र और उनकी पत्नी को गालिया देने लगे और काफिर कहकर अपमानित करने लगे घंटो तक ये चलने लगा, इसी बीच दुखी माँ ने दरिंदो से ये रहम मांगी की एक-एक कर बलात्कार करो वो मर जायेगी 14 साल की है
पर दरिंदो ने ना माँ को छोड़ा ना पूर्णिमा को अधमरा छोड़ गए पूर्णिमा और उसकी माँ को,  सभी ने बलात्कार किया, और पड़ोसियों से कह गए की जो इनकी मदद करेगा उसके साथ भी ऐसा होगा, किसी ने हिन्दू परिवार की मदद नहीं की, अनिल चंद्र ने होंश में आने के बाद किसी तरह खुद को उठाया और पुलिस स्टेशन गए पर पुलिस ने कोई कारवाही नहीं की, चूँकि सभी दरिंदे खालिद जिया की पार्टी के थे , जब ये मामला पुरे बांग्लादेश में आया और न्यूज़ पेपरों में छापा गया तब जाकर 6 दरिंदो को पकड़ा गया, ये घटना कभी किसी भारतीय न्यूज़ में नहीं रही, जो पेपर की कटिंग है वो बांग्लादेश का न्यूज़ पेपर है, भारत के पश्चिम बंगाल का नहीं
ये पूरी घटना बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी अपनी किताब “लज्जा” में लिखी जिसके बाद से उनको देश छोड़ना पड़ा, ये पूरी घटना इतनी हैवानियत से भरी है पर आजतक भारत में किसी बुद्धिजीवी ने इसके खिलाफ बोलने की हैसियत तक नहीं दिखाई है, ना ही किसी मीडिया हाउस ने इसपर कोई कार्यक्रम करने की हिम्मत जुटाई।
11 में से 6 दरिंदो को उम्रकैद की सजा हुई है बाकि 5 अब भी गायब है ये सभी 24 साल से 55 साल तक के थे

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